|| श्री रेणुका परमेश्वरी ||

|| श्री रेणुका परमेश्वरी ||
नको साधन धन काहि । काम स्तवनाचे नाही ॥
तुला रेणुके बाई । आई, बोलने पुरे ॥

Saturday, February 6, 2010

जय जय जगदम्बे | श्री अम्बे | रेणुके कल्पकदम्बे

जय जय जगदम्बे | श्री अम्बे | रेणुके कल्पकदम्बे || ध्रु. ||
अनुपम स्वरूपाची | तुझी धाटी | अन्य नसे या सृष्टि
तुजसम रूप दूसरे | परमेष्ठी | कारिता झाला कष्टि
शशिरस रसरसला | वदनपुटी | दिव्य सुलोचन दृष्टी
सुवर्णरत्नांच्या | शिरी मुकुटी | लोपति रवि शशि कोटि
गजमुखी तुज स्तविले | हेरम्बे | मंगल सकलारम्भे || १ ||
कुंकुम चिरी शोभे | मळवटी | कस्तूरी टिळ लल्लाटी
नासिका अति सरळ | हनुवटी | रुचिरामृत रस ओठी
समान जणू लावल्या | धनुकोटी | आकर्ण लोचन भृकुटी
शिरी नीट भांग वळी | उफराटी | कर्नाटकची धाटी
भुजंग नीळरंगा | परी शोभे | वेणी पाठीवरी लोंबे || २ ||
कंकणे कनकाची | मनगटी | दिव्य मुद्रा दशबोटी
बाजूबंद नगे | बाहूवटी | चर्चुनी केशर उटी
सुगंधी पुष्पांचे | हार कंठी | बहु मोत्यांची दाटी
अंगी नवी चोळी | जरीकाठी | पीत पीतांबर तगटी
पैंजण पदकमळी | अति शोभे | भ्रमर धावती लोभे || ३ ||
साक्षेप तू क्षितिच्या | तळवटी | तूच स्वये जगजेठी
ओवाळीन आरती | दीपताटी | घेऊनि करसंपुटी
करुणामृत हृदये | संकटी | धावसी भक्ता साठी
विष्णुदास सदा | बहुकष्टी | देशील जरी निज भेटी
तरी मग काय उणे | या लाभे | धाव पाव अविलंबे || ४ ||

Edited By
Awdhoot Yati

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