जयदेवी जयदेवी जयजय एकविरे
श्रीरेणुके जय जननी जगदोद्धारे ||जयजय.|| धृ ||
आदि नमोस्तुते सकळारंभे आनंते |
जय उदयोस्तु नारायणी श्रीभगवंते |
जय जगदम्बे ! अंबे ! परम कृपावंते |
जय षड्गुनैश्वर्यालंकृत श्रीमंते || जय १ ||
श्रीमृगराजाचल मुलापिठासन मूर्ती |
सतत विराजे गाजे दीग्मंडळी कीर्ति |
न्हानिती नित्य सरस्वती यमुना भागीरथी |
सुरवर मुनिजन भावें पुजार्चन करिती || जय. २ ||
मुगुट कुंडले मंडित पीताम्बर पीवळा |
कुंकुम कज्जल केशर उटी कंकणमाळा |
कनक-स्तंभ-मय-मंडपी शोभे वेल्हाळा |
त्रिकाळ होतसे मंगळ भुवनीं सुखसोहळा || जय ३ ||
घालोनी रांगुळी उजळुनी धुपदिप सुगंधी |
सुवार्नपात्री पंचामृत क्षिर बासुंदी |
वरणभात घृत पापड़ दळ बेसन बुंदी |
प्रार्थितो स्वस्थआनंदे जेवी आनंदी || जय. ४ ||
फल तांबूल दक्षिणा, सुभूषण सुमने |
भरली ओटी मोक्तिक माणिक मणि सुमने |
करूँ आरती वाहिली पुष्पांजली सुमने सुमने |
विष्णुदास म्हणे करि पुर्नार्चन सुमने || जय ५ ||
Wednesday, January 27, 2010
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